Thursday, November 18, 2021

Traditional manjusha painting in my style.

 


मंजूषा कला सदियों पुरानी एक ऐसी कला परंपरा है, जिसकी उत्पति बिहुला-बिषहर कथा के साथ जोड़कर देखा जाता है। लोकमान्यता है कि जब बिहुला ने अपने पति बाला के सर्पदंश उपचार के लिए एक नौका तैयार करवाई थी। उसी नौका पर बिहुला अपने पति को नदी के रास्ते से लेकर गई थी। उस नौका को उस समय के कुशल चित्रकार लहसन माली ने अपनी सूझ-बूझ से सजाया था।आज भी जब बिहुला-बिषहरी की पूजा होती है तो लोग एक मंदिरनुमा आकृति देवी को भेंट करते हैं...जिसे मंजूषा कहते हैं...और उस पर उकेरी गई कला मंजूषा कला कहलाती है। रंगों और रेखाओ का एक अदभूत ग्रामर इस कला में देखते को मिलता है...जो मानव और सांप के रिश्ते पर बहुत कुछ कहती है। 
पिछले दो दशकों से इस कला से जुड़ी रहने के बाद अब लगने लगा है कि मंजूषा कला में कुछ प्रयोग की जरूरत है...मेरी नई मंजूषा कला।

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